प्रसिद्ध मराठी कवि नामदेव धोंडो महानोर का निधन
मराठी कवी और गीतकार नमदेव धोंडो महनोर का निधन हो गया। उनकी उम्र 81 वर्ष थी। महनोर अपनी मराठी फिल्मों के लिए कविताएं और गीतों के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध थे। 1942 में पैदा हुए नमदेव धोंडो महनोर को 1991 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। वे राज्य विधान परिषद के सदस्य भी रहें हैं। महनोर ने कई प्रसिद्ध कविताएं और गाने लिखे थे, जिनमें ‘जगलं प्रेम अर्पवं’, ‘गंगा वाहू दे निर्मल’, और ‘दिवेलगणीची वेल’ शामिल थे, और मराठी फिल्मों के लिए गाने लिखे जैसे कि ‘एक होता विदुषक’, ‘जैत रे जैत’, ‘सर्जा’ आदि।
नमदेव धोंदो महनोर एक छोटे से गांव में पैदा हुए थे जो अब ‘संभाजीनगर’ के नाम से जाना जाता है। श्री महानोर की शुरुआती रचनाओं में से एक, उपन्यास अजिंथा (1984), जिसमें अंग्रेजी सैनिक-पुरातनपंथी मेजर रॉबर्ट गिल (जिन्होंने अजंता गुफा भित्तिचित्रों की नकल की थी) और एक आदिवासी लड़की के बारे में 19 वीं शताब्दी की प्रेम कहानी के बारें में बताया गया था, जिस पर बाद में प्रशंसित कला निर्देशक नितिन चंद्रकांत देसाई द्वारा एक फिल्म बनाया गया था।
पूर्व मंत्री वक्कोम पुरुषोत्तमन का 96 साल की उम्र में निधन
केरल विधानसभा के दो बार अध्यक्ष रह चुके वक्कोम पुरुषोत्तमन का 96 वर्ष की आयु में निधन हो गया। पुरुषोत्तम ने 1952 में रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के कार्यकर्ता के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया। उन्होंने पार्टी के टिकट पर वक्कोम पंचायत परिषद की एक सीट जीती। तिरुवनंतपुरम बार में वकील के रूप में अभ्यास करते हुए, पूर्व मुख्यमंत्री आर. शंकर ने श्री पुरुषोत्तमन के राजनीति के स्वभाव को देखा और उन्हें आरएसपी छोड़ने और कांग्रेस में शामिल होने के लिए राजी किया।
हालांकि, उनके पहले चुनावी यात्रा में वह असफल रहे। उन्हें 1967 और 1969 में लगातार विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा। 1970 में उन्होंने सीपीआई(एम) के वरिष्ठ नेता कट्टायिकोनम श्रीधरन को हराकर कांग्रेस को अट्टिंगल विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में जीत हासिल की। वह अच्युता मेनन सरकार (1971-77) में कृषि और श्रम मंत्री रहे और किसानों और हेडलोड मजदूरों के कल्याण की खास धाराएं लिखी।